भगवान स्वयं नृसिंह अवतार


हिरण्यकश्यप के गुरूर को तोड़ने और उसके पुत्र भक्त प्रह्लाद की आश्था के जीतने की कहानी याद दिलाता है। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई थी, उसे वरदान प्राप्त था कि आग उसे जला नहीं सकती लेकिन अधर्म का साथ देने की वजह से होलिका जल गई और भक्त प्रह्लाद बच गए। हिरण्यकश्यप को उसके पापों की सजा देने के लिए और उसका अंत करने के लिए भगवान स्वयं नृसिंह अवतार के रूप में पृथ्वी पर उतरे और अपने नखों से उसका पेट चीर कर उसका वध कर दिया। भगवान के हाथों मरने की वजह से राक्षस हिरण्यकश्यप को स्वर्ग की प्राप्ति हुई जबकि भक्त प्रह्लाद की आस्था और विश्वास की जीत ने अधर्म के ऊपर धर्म की एक बार फिर स्थापना हो गई।