शिव की आराधना करें श्रावण मास में

भोलेनाथ की पूजा-अर्चना
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पूरे माह भर भोलेनाथ की पूजा-अर्चना का दौर जारी रहेगा। शिव मंदिरों में श्रावण मास के अंतर्गत विशेष तैयारियां की गई हैं। श्रद्धालुओं द्वारा 'बम-बम भोले और ॐ नम: शिवाय' की गूंज सुनाई देगी। शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ नजर आएंगी।
श्रावण का यह महीना भक्तों को अमोघ फल देने वाला है। माना जाता है कि भगवान शिव के त्रिशूल की एक नोक पर काशी विश्वनाथ की पूरी नगरी का भार है। उसमें श्रावण मास अपना विशेष महत्व रखता है।
इस दौरान खास तौर पर महिलाएं श्रावण मास में विशेष पूजा-अर्चना और व्रत-उपवास रखकर पति की लंबी आयु की प्रार्थना भोलेनाथ से करती हैं। खास कर सभी व्रतों में सोलह सोमवार का व्रत श्रेष्ठ माना जाता है।
इस व्रत को वैशाख, श्रावण मास, कार्तिक मास और माघ मास में किसी भी सोमवार से प्रारंभ किया जा सकता है। इस व्रत की समाप्ति पर सत्रहवें सोमवार को सोलह दंपति को भोजन व किसी वस्तु का दान उपहार देकर उद्यापन किया जाता है।
पुराणों के अनुसार श्रावण मास में शिवजी को एक बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पापों का नाश होता है। एक अखंड बिल्वपत्र अर्पण करने से कोटि बिल्वपत्र चढ़ाने का फल प्राप्त होता है। शिव को कच्चा दूध, सफेद फल, भस्म, भांग, धतूरा, श्वेत वस्त्र अधिक प्रिय होने के कारण यह सभी चीजों खास तौर पर अर्पित की जाती है।

श्रावण मास शिव का पाठ एवं मंत्र जाप करने से मनुष्य के पापों का नाश होता है।